एक ऐसी कहानी जो फिल्मी नहीं वास्तविक दुनिया की है। उसका हर पहलू मार्मिक है। इसका हर किरदार अनोखा है। यहां एक लड़की जो अपने प्यार को खोकर उसकी मां का हाथ थाम लेती है और फिर एक बेमिसाल मां है जिसका फूल सा बेटा ऑनर किलिंग का शिकार हो गया। मां ने बेटे की प्रेमिका को बेटी बनाकर कन्यादान किया। वो खुद दर्द के दलदल में धंस गईं लेकिन शालू की जिंदगी संवार दी।
उसके पिता बचपन में ही गुजर गए। मां ने खून-पसीना एक कर अपने इकलौते लाल को पाला था। अपने हिस्से का उसे खिलाकर वक्त काटा। बेटा भी अपनी मां के संघर्ष को समझता था। बड़े होकर उस बेटे ने भी उनके लिए कई अरमान सजाए लेकिन पूरे न कर सका। सारे सपने संजीव (शैंकी) के साथ जलकर खाक हो गए। उस मां की दुनिया लुट गई। सहारे की उम्र में अकेली रह गईं। दर्द ने उन्हें बिखेर कर रख दिया। एक और शख्स था जो इस गम में टूटा था।
संजीव की प्रेमिका जो उसकी मौत के बाद जीना भूल गई। जहां एक ने संजीव को जन्मा था तो वही दूसरी ने शिद्दत से चाहा था। इन दोनों ने साथ जीने-मरने के ख्वाब देखे थे। अफसोस! कि उसके प्यार को मंजिल नहीं मिली। लड़की के घरवालों ने संजीव की हत्या कर दी। शालू (बदला हुआ नाम) का जहां उजड़ गया लेकिन टूटकर भी उसने संजीव की मां का हाथ थाम लिया और वो उन्हें सहारा देने के लिए उनके साथ रहने लगी। मां दर्द के दलदल में फंसी थीं पर उन्होंने शालू को इससे निकाल दिया। क्योकि उसके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी। इस मां ने उसे बेटी की तरह अपनाकर उसका कन्यादान किया और रिश्तेदारी में उसकी शादी करा दी। खुद बेटे की स्मृतियों के आंगन में रह गईं। मां दर्द में घुल रही हैं।
वो जंधेड़ी, मवाना निवासी विरमवती समाज के लिए मिसाल हैं। 23 वर्षीय इकलौते बेटे को ऑनर किलिंग में खोने के बावजूद उन्होंने उसके प्यार को नई जिंदगी दी। शालू भी संजीव की मां के प्रति समर्पित थी। घरवालों से बगावत कर उनके साथ रहने लगी। छह जुलाई 2019 को विरमवती ने अपनी रिश्तेदारी में उसकी शादी कर दी। मां की मर्मांतक पीड़ा है। मुख से निकले बोल दर्द में डूबे हैं। विरमवती अक्सर बीमार रहती हैं।
बताती हैं, शैंकी छह महीने का था, तभी उसके पिता का देहांत हो गया था। एक बेटी भी थी। पशु पालन और खेती कर मैंने बच्चे पाले। बेटा शैंकी सीधा-साधा बच्चा था और मैं सोचती थी कि पढ़ लिखकर कुछ बन जाए। अभी तो उसकी पालगत करके भी नहीं हटी थी। बस इतना कहते हुए मां की रुलाई फूट पड़ती है और फिर कुछ क्षण बाद बोलीं, शैंकी मेरठ में प्राइवेट जॉब करता था। वह वहीं रहता था। कंप्यूटर की कोचिंग भी कर रहा था। उसके प्यार के बारे में मुझे पता था। जाति अलग थी पर मैं शादी के लिए तैयार थी। शुरुआत में शालू के घरवाले भी तैयार थे। शैंकी उनके घर आता-जाता भी था।
पिछले साल दिसंबर में हुई थी शैंकी की निर्मम हत्या
शैंकी और शालू के पांच साल से प्रेम संबंध थे। पिछले साल 6 दिसंबर 2018 को शैंकी शालू से मिलने के लिए पल्लवपुरम स्थित उसके घर गया। लेकिन वहां शालू के पिता और भाइयों ने उसकी हत्या कर दी। शालू संजीव को छोड़ने की गुहार करती रही पर उन्होंने उसे कमरे में बंद कर दिया। संजीव की हत्या कर शव को ललसाना के जंगल में ले जाकर कार समेत जला दिया गया। शैंकी के हत्यारोपी पिता-पुत्र जेल में हैं।