लॉकडाउन के इस दौर में कई लोग देश के हीरो बनकर उभरे हैं। इनमें हमारे स्वास्थ्यकर्मी भी हैं। ये अपनी जान की वरवाह कि बगैर देश को इस महामारी से बचाने में लगे हुए हैं। ऐसी ही कर्मवीर हैं पारुल, जो मुरादनगर सीएचसी में तैनात हैं। जब पारुल देश के अंदर रहकर कोरोना जैसे दुश्मन को मात देने में जुटी हुई हैं, वहीं उनके पति बॉर्डर पर मुस्तैदी के साथ देश को सुरक्षित रखे हुए हैं।
वीडियो कॉल से लेती हैं हालचाल
मुरादनगर थाना क्षेत्र की संतोष सिटी में रहने वाले प्रशांत कुमार आर्मी में नायक के पद पर तैनात हैं। फिलहाल उनकी ड्यूटी जम्मू—कश्मीर में लगी हुई है। उनकी पत्नी पारुल नरेश मुरादनगर सीएचसी में नर्स हैं। यानी पति बॉर्डर पर ड्यूटी निभा रहे हैं, तो पत्नी अस्पताल में कोविड-19 की योद्धा साबित हो रही हैं। सीएचसी में जो भी कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती किए गए हैं, वह उनकी देखरेख पूरी निष्ठा से करने में लगी हुई हैं। इनका एक आठ साल का बेटा है, जिससे यह वीडियो कॉल के माध्यम से बात करती हैं। तीनों वीडियो कॉल से एक—दूसरे का हाल-चाल लेते हैं।
25 मार्च को गई थी ट्रेनिंग पर
इस बारे में पारुल नरेश का कहना है कि उनका एक 8 साल का बेटा कार्तिक है। वह कक्षा तीन में पढ़ता है। 25 मार्च को वह ट्रेनिंग पर चली गई थी और उनकी ड्यूटी सीएचसी अस्पताल में ही लगा दी गई। उन्होंने बताया कि शुरू में तो उन्हें थोड़ी बहुत घबराहट महसूस हुई, लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि जब पति बॉर्डर पर परिवार से दूर रहकर अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सेवा कर सकते हैं, तो वह अस्पताल में आने वाले मरीजों की पूरी निष्ठा से देखरेख क्यों नहीं कर सकती हैं।
बेटे को भेजा मायके
इसके बाद पारुल ने अपने बेटे को मायके भेज दिया और सीएचसी अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात हो गईं। पारुल का कहना है कि अब उन्हें इन सभी मरीजों की सेवा करने में परम सन्तुष्टि मिल रही है। यदि बेटे और पति से बात करने का मन होता है, तो वह वीडियो कॉल पर ही उनसे हालचाल लेती हैं। पारुल नरेश ने बताया कि वह यहां मरीजों की सेवा करने के साथ ही उनका मनोबल भी बढ़ाती हैं। सबसे बड़ी संतुष्टि उन्हें तब हुई जब यहां पर भर्ती मरीजों में से 3 रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इस मामले में सीएचसी प्रभारी डॉ जीपी मथुरिया का कहना है कि स्टाफ नर्स पारुल नरेश हर समय ड्यूटी करने को तैयार रहती हैं। दूसरे स्टाफ की तरह उन्होंने ड्यूटी करने में कभी भी आनाकानी या लापरवाही नहीं की। उनके इस योगदान को वास्तव में भुलाया नहीं जा सकता है।