जींद के कैथल रोड पर जेपी कोठी के पास राजनगर में रहने वाले प्रेमचंद जांगड़ा का कुनबा बीते दस दिनों से नेक कार्य में जुटा हुआ है। परिवार के सभी सदस्यों का एक ही मकसद है कि कोई जरूरतमंद भूखा न सोए। इसलिए रोज सुबह आठ बजे ही घर के सभी सदस्य खाना व सब्जी बनाने में जुट जाते हैं। पशुपालन विभाग में वीएलडीए विकास जांगड़ा ने बताया कि लॉकडाउन के बाद उन्हें पता चला कि शहर में काफी मजदूरों के पास खाने का संकट बना हुआ है।
उन्होंने भी इस नेक कार्य में भागीदारी का फैसला लिया। पिता प्रेमचंद ने कहा कि घर पर खाने के पैकेट बना देंगे और सामाजिक संस्था अन्ना टीम के सदस्यों के जरिए इनका वितरण करवा देंगे। विकास बताते हैं कि दस दिन से रोज सुबह पिता के साथ मां राजबाला, भाई रोशन, भाभी सरोज, पत्नी सीमा जांगड़ा रोटियां व सब्जी बनाने में जुट जाते हैं। हर रोज अलग-अलग सब्जी बनाते हैं।
एक दिन आलू की सब्जी, दूसरे दिन आलू-छोले व तीसरे दिन आलू-मटर की सब्जियां बनाते हैं। एक पैकेट में सब्जी, पांच रोटी व सलाद रखते हैं। पैकेट तैयार करवाने में बच्चे मोहित, काव्या, दिव्या व नंदिनी सहयोग करते हैं। सुबह 11 बजे तक पैकेट तैयार कर देते हैं। इसके बाद अन्ना टीम के सदस्य कैथल रोड पर रहने वाले दूसरे प्रदेशों के मजदूरों में इनका वितरण करते हैं। हर रोज इस कार्य में 1300 से 1500 रुपये का खर्च आ रहा है।
वीएलडीए विकास जांगड़ा ने बताया कि पिता प्रेमचंद का लकड़ी का काम है। कई दिन पहले उनके पास अन्ना टीम के सुनील वशिष्ठ का फोन आया था कि गुरुद्वारे में लकड़ी की जरूरत है। तभी पिताजी ने लकड़ी से भरी ट्राली निश्शुल्क गुरुद्वारे में पहुंचा दी थी। विकास कहते हैं कि किसी की भूख मिटाना सबसे नेक कार्य है। इस अभियान में सबको सामर्थ्य अनुसार अपनी भागीदारी करनी चाहिए।